Vinita gupta

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पग पग दीप जलाकर गुरुवर

पग पग दीप जलाकर गुरुवर,                      
    हम को पथ दिखलाते हो
तुम अपना सर्वस्व लुटा कर, पावन हमें बनाते हो।
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    विकसित करते शक्ति हमारी, 
       अंतर में जो छुपी हुई ।
      जीवन के जो मूल मंत्र है, 
       पीड़ा जिन से दूर हुई ।

राह विषम और दुर्गम है पथ, समतल उसे सजाते हो ।
पग पग दीप जलाकर गुरुवर हम को पथ दिखलाते हो।
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              दीपक जैसे तुम जलते हो,
               ज्योतिर्मयआभा भरते हो, 
                   सूरज जैसी प्रभा अनूठी, 
                   कण कणआलोकित करते हो, 

घूँट गरल के पी लेते हो, अमृत तब छलकाते हो ।
पग पग दीप जलाकर गुरुवर, हमको पथ दिखलाते हो ।
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        सुविधाओं की चाह नहीं है, 
           मोटर बंगला कार नहीं है ,
             दो कपड़ों में बसर जिंदगी 
               दौलत की दरकार नहीं है,

  हरते सब संताप धरनि का प्रभु से बड़े कहाते हो।
 पग पग दीप जलाकर गुरुवर,हमको पथ दिखलाते हो।

विनीता गुप्ता छतरपुर मध्य प्रदेश, स्वरचित /मौलिक

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4 Comments

Varsha_Upadhyay

16-Mar-2024 10:56 PM

Nice

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Gunjan Kamal

16-Mar-2024 10:21 PM

शानदार

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Mohammed urooj khan

16-Mar-2024 03:25 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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